सासनी/अलीगढ 1नवंबऱ। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को विश्व भर में दीवाली पर्व मनाया जाता है। वहीं त्रयोदशी तिथि के दिन आयु-आरोग्य और सुख समृद्धि में वृद्धि के लिए आयुर्वेद के देवता भगवान धनवंतरि और लक्ष्मी-कुबेर का पूजन किया जाता है जिसे धनतेरस के नाम से जाना जाता है। इस बार दीपों का पर्व 4 नवंबर गुरुवार को मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ मनाया जा रहा है।
यह जानकारी देते हुए वैदिक ज्योतिष संस्थान के स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दीपावली से जुड़ी ज्योतिष एवं ग्रहों के प्रभाव के बारे में बताया कि 17 अक्टूबर दोपहर 1 बजे से तुला राशि में सूर्य प्रवेश कर चुका है जो कि 16 नवंबर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा, ग्रहों का राजा होने के कारण यह शुभता का प्रतीक रहेगा। वहीं 2 नवंबर प्रातः 9 बजकर 53 मिनट पर तुला राशि में बुध गोचर करेंगे, मार्गी अवस्था में गोचर करते हुए ये 21 नवंबर को प्रातः 04 बजकर 48 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे बुध ग्रहों के राजकुमार होने के कारण धन लाभ और बिजनेस में बढ़ोतरी करेंगे इसके साथ ही तुला राशि में ही मंगल, बुध और चंद्रमा भी उपस्थित रहेंगे। मंगल को ग्रहों का सेनापति एवं चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दिवाली के मुहूर्त के बारे में बताया कि 4 नवंबर गुरुवार को प्रातः 6 बजकर 3 मिनट से अमावस्या तिथि प्रारम्भ होकर 5 नवंबर शुक्रवार को प्रातः 2 बजकर 44 मिनट तक रहेगी जिसमें आयुष्मान योग गुरुवार प्रातः11बजकर 10 मिनट से शुक्रवार को 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। अतः लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त सांय 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक शुभ रहेगा।
धन त्रयोदशी के बारे में जानकारी देते हुए स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने बताया कि मंगलवार के दिन त्रयोदशी आने के कारण इस बार धनतेरस के पर्व विशेष बन गया है क्योंकि मंगल भूमि, भवन, संपत्ति प्रदायक और कर्ज मुक्ति के ग्रह हैं इसलिए इस दिन किया गया लक्ष्मी-कुबेर का पूजन स्थाई संपत्ति में वृद्धि करेगा और कर्ज मुक्ति करवाएगा। इस दिन भौम प्रदोष व्रत एवं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से यानि प्रातरूकाल द्वादशी तिथि, मंगलवार और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र से मिलकर त्रिपुष्कर योग बन रहा है जिसके कारण खरीदी गई वस्तुएं तीन गुना फल देंगी।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने धनतेरस पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में कहा कि धनतेरस की पूजा सांय काल में कई जाती है अतः 2 नवंबर मंगलवार को सायं 6.32 से रात्रि 8.21 बजे तक यानि 1 घंटा 49 मिनट पूजन के हिसाब से शुभ रहेगा जिसमें प्रदोष काल सायं 5.48 से रात्रि 8.21 बजे तक वहीं वृषभ लग्न सायं 6.32 से रात्रि 8.30 बजे तक
एवं लाभ सायं 7.24 से 8.59 बजे तक रहेगा जिसमें गृहस्त एवं व्यापारी अलग अलग विधान से पूजा कर सकेंगे धनतेरस के दिन सूर्यास्त के बाद स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करके भगवान गणेश और लक्ष्मी के साथ पूजन करना चाहिए। कुबेर को मावे की सफेद मिठाई या खीर एवं धनवंतरि को पीली मिठाई भोग के रूप में अर्पित करें। इस बार इसी रात्रि में चतुर्दशी का दीपदान भी किया जाएगा जिसमें यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा में चार बत्ती वाला दीपक लगाएं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। वहीं व्यापारी और अन्य व्यावसायी लोग धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठानों में धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठान में साफ-सफाई करके नई गादी बिछाकर बही खातों का पूजन करें साथ ही मां लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा को स्थापित कर सायंकाल के समय शुभ मुहूर्त में पूजन कर सकते हैं। कर्ज मुक्ति के लिए इस दिन मंगल यंत्र की स्थापना करके रात्रि में ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के 51 पाठ करने से धन का आगमन बढ़ेगा और कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
