सासनी- 28 अक्टूबर। नगर में चतुरश्रेणी धर्म शाला में आयोजित कविगोष्ठी में नवागन्तुक कवियों को बुजुर्गों का सानिध्य और आशीर्वाद मिला वहीं काव्य प्रेमियों
ने उनकी कविताओं का देर रात तक रसास्वादन
किया।
गुरूवार की देर शाम गोष्ठी का शुभारंभ अध्यक्षता कर रहे सतीश चंद गुप्ता द्वारा मां सरस्वती की छवि चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन करने और नरेंद्र मोहन गुप्ता की सरस्वती वंदना के बाद उनहोंने सुनाया – तन मन मेरा तुमको अर्पण आओ माधव आओ दीन नरेंद्र तुम्हें पुकारे बिगड़ी मेरी बनाओ इसके बाद गगन वार्ष्णेय ने अपने गीतों से समां बांधा– हम प्यार सदा बांटे हम प्यार सदा पाएं। कवि ऐम पी सिंह की कविता ने इंग्लिश ग्रामर की आसान राह गागर में सागर के रूप में प्रस्तुत की–
कवि वीरपाल सिंह जी ने हास्य की रचनाएं प्रस्तुत कीं–
शैलेष अवस्थी ने प्रति गीतों की रसधार में सभी को सराबोर कर दिया– यार हमारी बात सुनो दरिया दिल इंसान सुनो बेटी है सृष्टि की धरोहर इसका सम्मान करो
अमर सिंह की रचनाओं को भी सराहा गया– न तू रहेगा न तेरी जान रहेगी अच्छे कर्मों से तेरी पहचान रहेगी। कवि रामनिवास उपाध्याय ने अपने भाव काव्य बद्ध करते हुए सुनाया– रामसेतु को तोड़ते रामराज के संत राम विरोधी बढ़ गए हैं ऋतुराज बसंत, अशोक मिश्रा ने भ्रूण हत्या को अपनी कविता का विषय बनाया। संचालन कर रहे ब्रजभाषा कवि अशोक अग्रवाल ने श्रोताओं की फरमाइश पर सुनाया– उजड़ ना जाए काव्य की बस्ती डूब न जाए काव्य की कश्ती काव्य का शौक है शौक की खातिर सनम मिटा कर रहेंगे हस्ती। इसके बाद बारी आई हास्य व्यंग कवि वीरेंद्र जैन नारद की उन्होंने सुनाया–ये दुनिया एक तमाशा है कभी तोला है कभी माशा है। देर रात तक चली कवि गोष्ठी का संचालन अशोक अग्रवाल ने किया इस मौके पर श्री राधेश्याम गुप्ता जी मोहनलाल गुप्ता रामनिवास बाबूजी धर्मेंद्र वीरेंद्र सिंह सोलंकी श्रीकृष्ण गुप्ता, राजेंद्र गुप्ता, राकेश गुप्ता, और दिलीप गुप्ता, की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
