हरदोई: सरकार भले ही आगामी चुनाव में स्वच्छ भारत के तहत बने शौंचालयों का बड़ी-बड़ी रैलियों में खूब प्रचार करे लेकिन जमीनी हकीकत आज भी कोसों दूर है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में बने शौंचालयों में ग्रामीण शौंच जाने के बजाय खेतों या खुले में शौंच जाने को मजबूर हैं। बिना दरवाजे के बने शौंचालयों की रंगाई पुताई में चाहें लाखों खर्च कर दो लेकिन ग्रामीण खुले में ही शौंच करेंगे। आखिर क्यों सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना गांवों में धराशायी होती जा रही है।
स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत गांव में हरदोई जनपद के शाहाबाद ब्लॉक की तरफ से ग्रामपंचायतों में कई हजार शौचालयों का निर्माण तो हुआ लेकिन इन शौंचालयों के बनने के बाबजूद ग्रामीण खुले में ही शौंच जाते हैं। ऐसा ही हाल बहेडा रसूलपुर व पन्योरा बल्लिया गांव का है। जहाँ शौंचालयों के बाबजूद ग्रामीण खुले में शौंच कर रहे हैं अधिकारियों ने स्वच्छ भारत अभियान को सफल दिखाने के लिए गांवों को ओडिएफ घोषित कर दिया है परंतु इन गांवों में कई लोग आज भी शौच के लिए बाहर जाते हैं,बहीं बहेडा रसूलपुर में जुलाई-अगस्त माह में शौंचालयों की रंगाई-पुताई के 75 हजार रुपए जरूर खर्च कर दिए गए,फिर भी ग्रामीण खुले में शौंच जाने को मजबूर हैं, क्योंकि आधे से ज्यादा शौंचालयों में दरवाजे ही नही हैं। बहीं गांव में 23 शौंचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।
ग्राम पंचायत सचिव ने बताया कि 23 शौंचालय बाबा नीम करोरी फार्म को बनबाने का टैंडर दिया गया था, भुगतान भी हो गया लेकिन फर्म गांव में आधे-अधूरे शौंचालय बनाकर भाग गई,बहीं लाखों खर्च के बाबजूद बहेडा रसूलपुर व पन्योरा बल्लिया गांव में बने सामुदायिक बन्द पड़े हैं। ग्रामीणों कभी इनमें शौंच को नही गए लेकिन इनकी देखभाल के नाम पर भुगतान शायद जरूर होता होगा।
बहीं पन्योरा बल्लिया में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौंचालयों की दुर्दशा स्वच्छता अभियान का मजाक बन गई है। यह योजना ग्रामीण अंचलों में घर घर तक तेजी से पहुँची तो जरूर लेकिन शायद यही तेजी शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार को जन्म दे गई। अप्रत्यक्ष रूप से अधिकांश स्थानों पर प्रधानों और सचिवों द्वारा ही शौचालय निर्माण कराया गया। जिस कारण खराब क्वालिटी का मसाला प्रयोग करके भ्रष्टाचार को स्वच्छ भारत योजना जन्म दे गई। बहीं खण्ड विकास अधिकारी ने बताया कि जिन ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौंचालय बन्द पड़े हैं,कार्यवाही की जाएगी। एवं ग्रामीणों के निजी प्रयोग के लिए बने शौंचालयों का स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा।
लेकिन सवाल यह कि आखिर स्वच्छ भारत योजना गांवों में दम क्यों तोड़ गई, शायद इसका जबाब जिम्मेदार देना नही चाहते क्योंकि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के दाग उन्ही पर लग रहे हैं।
